उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी से छिपी नहीं है। खासकर पर्वतीय जिलों के दूरस्थ क्षेत्रों में बीमार को अस्पताल पहुंचाना और उस अस्पताल में इलाज मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। ऐसा ही हाल सीमांत जनपद पिथौरागढ़ का है जहां स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और सड़क मार्ग नहीं होने की मार गर्भवती महिलाओं पर पड़ रही है। हाल यह है कि बीते दो माह में जनपद में 11 गर्भवती महिलाओं का प्रसव आपातकालीन सेवा 108 एंबुलेंस में हुआ है।
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पिथौरागढ़ जनपद में आज भी ऐसे कई क्षेत्र है जो अभी तक सड़क मार्ग से नहीं जुड़े हैं। जनपद में सीएचसी सेंटर मात्र रेफर सेंटर बनकर रह गए हैं। जिला मुख्यालय अस्पताल को छोड़ दिया जाए तो जनपद के अन्य किसी अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है। दूरदराज क्षेत्रों से आने वाली गर्भवती महिलाओं को जिला मुख्यालय रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में कई बार दुखद खबर सुनने को मिलती हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सीमा जनपद पिथौरागढ़ में बीते 2 माह में 11 गर्भवती महिलाओं का प्रसव आपातकालीन सेवा 108 में हुआ है। जिनमें से अधिकांश केस में सीएचसी सेंटर ने प्रसव कराने से हाथ खड़े कर दिए और गर्भवती को जिला मुख्यालय पर कर दिया था। जिला मुख्यालय से अधिक दूरी होने के कारण एंबुलेंस में तैनात रहने वाले कर्मचारियों ने आपातकालीन 108 में ही महिलाओं का प्रसव कराया। यह आंकड़ा मात्र एक जनपद पिथौरागढ़ का है ऐसे ना जाने कितने केस राज्य के अलग-अलग जनपदों में होंगे।