अपने शांत वादियों के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड अब अपराधियों, अवैध लोगों का गढ़ बनते जा रहा है। यही वजह है कि बीते कुछ वर्षो से प्रदेश में अपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। उत्तराखंड की शांत वादियों में अब संगीन वारदातों की दस्तक से खलल बढ़ रहा है। वहीं उत्तराखंड में गुमशुदा लोगों के आंकड़े बढ़ते जा रहा है। हालांकि इन 22 सालों में पुलिस ने 5723 लापता लोगों को ढूंढा भी है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: मदरसों की अन्य गतिविधियों पर पुलिस रखे नजर, सीएम धामी ने दिए निर्देश
2 नवंबर 2000 उत्तराखंड एक अलग राज्य के रूप में गठन हुआ था। उत्तराखंड को बेहद शांत प्रदेश की श्रेणी में रखा जाता है लेकिन बीते कुछ समय से उत्तराखंड में लोग तेजी से लापता हो रहे हैं। इन गुमशुदा में महिला पुरुष और बच्चे भी शामिल हैं। आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में 7,741 लोग मिसिंग चल रहे हैं। यह आंकड़ा 9 नवंबर 2000 से 2022 तक है और यह गुमशुदगी के मामले विभिन्न थानों में दर्ज है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या प्रदेश पुलिस गुमशुदा को तलाशने में क्या नाक़ाम साबित हो रही है।
जिला | गुमशुदा लोग |
हरिद्वार | 2495 |
देहरादून | 2264 |
उधम सिंह नगर | 1247 |
नैनीताल | 378 |
चमोली | 489 |
पिथौरागढ़ | 221 |
पौड़ी | 174 |
रुद्रप्रयाग | 125 |
टिहरी | 108 |
उत्तरकाशी | 80 |
बागेश्वर | 69 |
अल्मोड़ा | 54 |
चंपावत | 43 |
उत्तराखंड से इतनी बड़ी संख्या में लोगों के लापता होना बड़ी चुनौती है। जिसका कनेक्शन देह व्यापार, भिक्षावृत्ति, मानव तस्करी से भी माना जाता है। हालांकि कुछ ऐसे भी लोग होते होंगे जो बिना बताए घर छोड़ कर चले गए होंगे लेकिन गुमशुदगी का जब तक पता नहीं चल जाता जब तक उसकी खोज नहीं हो जाती।