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बाबा वेंगा की भविष्यवाणी से डरना जरुरी है, वरना डिब्बों में कैद होगी दुनिया

Authored by: Ruchi Pandit
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Published on: 21 May 2025, 1:00 am IST
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Baba Vanga

कहते हैं दुनिया गोल है लेकिन आज का सच ये है की दुनिया तो सिर्फ 6.5 इंच के स्क्रीन में सिमटी हुई है। कभी नहीं सोचा था की ये इलेक्ट्रॉनिक पुर्जा हमारी दुनिया को उलट पुलट करने की काबिलियत रखता होगा। जो स्मार्टफोन हमें सबसे जोड़ने में मदद करता है आज उसी फोन में हम दिन भर घुसे रहते हैं और रिश्तों का गला घोंट रहे हैं। सालों पहले  बाबा वेंगा ने इसी भविष्य को देखने का दावा किया था। यकीन मानिए इस वक्त का सच भी यही है।

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आपको बता दें बाबा वेंगा कोई आम महिला नहीं थी। उनका दावा था कि वह भविष्य देख सकती हैं । इतना ही नहीं उन्होंने 9/11 हमले से लेकर, भूकंप,सुनामी और भी नजाने क्या क्या भविष्यवाणी की थी जो आगे चलकर सच भी हुईं। और अब फोन को लेकर जो भविष्य का चेहरा दिखाया था उससे ये साफ हो गया है कि सच्चाई कितनी भयावह होने वाली है। 

फ़ोन की गन्दी लत 

बाबा वेंगा की भविष्यवाणी थी कि एक समय ऐसा होगा जब इंसान छोटे छोटे डिब्बों (यानी आज का फोन) में कहीं खो जाएगा । और देखिए ना आज बच्चे हों या बूढ़े सभी घंटों तक मोबाइल पकड़ कर बैठे रहते हैं। हद तो ये हो गई है कि स्कूल जाने वाले बच्चे रात में सोने से पहले फोन देखकर ही सोते हैं।इतना ही नहीं बुजुर्ग लोग भी घंटो यूट्यूब देखते हैं। 

चाहे छोटा कुटुंब हो या बड़ा आपने जरूर गौर किया होगा की सब अगर एक साथ भी बैठे हों तब भी उनकी नज़र फ़ोन पर ही रहती है। ना किसी से कोई बात चीत ना हाल चाल। इस गन्दी लत से पता नहीं कब हम परिवार से दूर होते चले जाते हैं पता भी नहीं चलता।

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छिना बचपना और उड़ी नींद 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग  ने अपनी रिपोर्ट में बताया की दुनिया में ऐसे 24% बच्चे हैं जो रात में सोने जाने से पहले फ़ोन देखकर सोना पसंद करते हैं। करीब 37%बच्चे स्क्रीन टाइम ज्यादा होने से अपने काम पर फोकस नहीं कर पाते। इतना ही नहीं पढाई लिखाई में भी उनका मन नहीं लगता। नींद पूरी नहीं हो रही, आँखें कमजोर हो रही हैं। अब तो डॉक्टरों ने भी इस बीमारी को डिजिटल इलनेस का नाम दे दिया है। 

वहीँ बड़े बुजुर्गों में यह समस्या जैसे पीठ दर्द, आँखों में जलन, मेन्टल स्ट्रेस आदि बीमारियां तेजी से बढ़ती चली जा रही है. 

जल्दी जागें वरना कहीं देर न हो जाये 

बाबा वेंगा की ये भविष्वाणी कहीं सच न हो जाये। उन्होंने बताया थी की यदि इंसान समय रहते नहीं संभला तो ये टेक्नोलॉजी ही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन बन जाएगी। और कही न कहीं आअज के हालत को देखते हुए उनकी भविष्यवाणी सच होते हुए नजर आ रही है। 

बहरहाल अब फैसला हमारे हाथ में है की हम कब तक जायेंगे और कैसे स्क्रीन टाइम को लिमिटेड रख पाएंगे ? इन सारे सवालों के बारे में अब सोचने का समय आ गया है। 

About the Author
Ruchi Pandit
Ruchi Pandit is an accomplished writer and journalist with over 5 years of experience in Politics, Crime and Local News Stories. With a degree in Mass Communication from Makhan Lal Chaturvedi Institute, she brings a unique blend of analytical insight and engaging storytelling to her work. Her articles have been featured in leading publications such as NewsTrek, BollywoodShadies establishing her as a trusted voice in politics and Local coverage. Passionate about Politics, Ruchi delivers well-researched, fact-based content that resonates with readers worldwide.
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