हाल में चमोली जनपद के जोशीमठ की जो तस्वीरें सामने आ रही वह विचलित करने वाली है। ऐसा ही कुछ हाल उत्तरकाशी जनपद के मस्ताड़ी गांव का है। यह गांव 31 सालों से भूमि धंसाव की चपेट में हैं, घरों में दरारें तो रास्ते-खेत लगातार धंसते जा रहे हैं। दिन-रात भय में जी रहे ग्रामीणों को उम्मीद थी कि उन्हें जल्द विस्थापित किया जाएगा लेकिन 31 साल से स्थिति जस की तस है और आज तक विस्थापन नहीं हो पाया।
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उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर दूर मस्ताड़ी गांव में 1991 में आए भूकंप भूमि धंसाव शुरू हो गया। भूकंप में गांव के लगभग सभी मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे। प्रशासन ने वर्ष 1997 में गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण भी कराया था। भू वैज्ञानिकों ने गांव में तत्काल सुरक्षात्मक कार्य का सुझाव दिया था लेकिन 31 साल बीतने के बाद भी गांव का विस्थापन नहीं हो पाया और ना ही सुरक्षात्मक कार्य हुए।
शायद प्रशासन किसी अनहोनी का इंतजार कर रहा है तभी तो गांव वालों के दिक्कत पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। भू धंसाव के चलते रास्ते ध्वस्त हो रहे हैं बिजली के पोल तिरछे हो चुके हैं और पेड़ भी धंस रहे हैं। वह इस मामले में प्रशासन का कहना है कि गांवों के विस्थापन के लिए भूमि चयनित कर ली गई है। भूमि का भूगर्भीय सर्वे कराया जाएगा जिसके बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।