भगवान शिव की पूजा करने के लिए शास्त्रों में कई तरीके बताए गए। जो व्यक्ति श्रदा और भक्तिभाव से शिव की पूजा करते हैं उनके ऊपर हमेशा भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है। माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था और इस दिन उपवास रखकर शिव-पार्वती की पूजा करने का विधान है। ऐसे में यदि आप Maha Shivratri 2023 का व्रत रख रहे हैं तो आपको इन बातों का ध्यान रखना होगा।
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Maha Shivratri 2023 कब है
हिन्दू पंचांग के अनुसार महा शिवरात्रि का त्योहार शनिवार 18 फरवरी को रात्रि 8:03 पर प्रारंभ होगा और रविवार 19 फरवरी को शाम 4:19 पर समापन होगा। चूंकि महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती है इसलिए यह त्योहार 18 फरवरी को मनाना ही उचित होगा।
महाशिवरात्रि में क्या करें
Maha Shivratri 2023 के पर्व पर आप सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ सुधरे कपड़े पहनकर निकट भगवान भोलेनाथ के मंदिर पहुंचकर शिवलिंग की पूजा-अर्चना करें। अब शिवलिंग पर बेल पत्र, धतूरे के फूल, पंचामृत और घर से बना प्रसाद चढ़ाएं और ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहें। अंत में भगवान शिव की आरती करें।
बता दें कि शिव जी की प्रिय चीजें शिवलिंग पर अर्पित की जाती है लेकिन कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो शिवजी को कभी चढ़ाया जाता है। इन चीजों का अर्पित करना शास्त्रों में वर्जित माना जाता है।
टूटे हुए चावल:- हिन्दू धर्म में चावल को अक्षत भी कहा जाता है। हांलांकि चावल का प्रयोग यदि आप शिव की पूजा करना चाहते हैं तो कभी टूटे चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
हल्दी और सिंदूर :- भगवान शिव की पूजा में हल्दी का प्रयोग नहीं किया जाता है और शिव जी की पूजा में सिंदूर चढ़ाना भी वर्जित होता है।
तिल और चंदन:- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के मैल से हुई थी इस वजह से तिल भगवान शिव को अर्पित नहीं किए जाते हैं। इसके अलावा चंदन सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है जिसकी वजह से इसे पूजा में वर्जित माना गया है।
शंख से जलाभिषेक:- भगवान शिव की पूजा उपासना से शंख से जलाभिषेक नहीं किया जाता है क्योंकि भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक दैत्य का वध किया था।
नारियल:- नारियल को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं। इसी वजह से शिव जी की पूजा में कभी नारियल अर्पित नहीं किए जाते हैं।
वर्जित फूल:- हिन्दू धर्म में पूजा अर्चना में फूलों का महत्व होता है लेकिन शिवलिंग पर कुछ फूलों को अर्पित करना वर्जित होता है जिनमें चंपा, कमल, केवड़ा, गुड़हल चमेली और जूही।