उत्तराखंड में स्थानीय महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण बिल को राजभवन से लौटा दिया गया है। राजभवन के निर्देश के अनुसार संशोधन कर बिल जल्द ही दोबारा अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।
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बता दें कि उत्तराखंड में स्थानीय महिलाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण जुलाई 2001 से मिलना था। नित्यानंद स्वामी सरकार ने 20 फीसदी क्षैतिज आरक्षण शुरू किया था। एनडी तिवारी सरकार ने जुलाई में इसे 30 फ़ीसदी कर दिया था। जिससे एक GO के आधार पर महिलाओं को नौकरियों में आरक्षण मिल रहा था। उत्तराखंड सम्मिलत राज्य सिविल एवं प्रवर अधीनस्थ सेवा प्री परीक्षा में इसी वर्ष हरियाणा की पवित्रा चौहान तथा अन्य प्रदेशों की महिलाओं को जब क्षैतिज आरक्षण का लाभ नहीं मिला तो उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट आरक्षण पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई। 4 नवंबर पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाकर आरक्षण को बरकरार रखा। शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन पुष्कर सिंह धामी सरकार ने महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण देने वाला विधायक विधानसभा में पेश किया और यह सदन में पास भी हो गया था।
उत्तराखंड का महिला आरक्षण बिल राजभवन से लौटा दिया गया है। कुछ तकनीकी और शब्दावली की गलतियों के चलते राजभवन सरकार का ध्यान दिलाया और दोबारा ड्राफ्ट बनाने को कहा है। राजभवन के निर्देश के अनुसार बिल में संशोधन कर जल्द ही दोबारा बिल अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।