9 नवंबर, 2000 को अलग राज्य गठन के बाद जहां एक ओर सरकार शहर से लेकर गांव तक विकास के दावे करती हैं वहीं दूसरी ओर आज भी ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं है। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही, भ्रष्टाचार और राजनीति अस्थिरता के चलते पर्वतीय क्षेत्रों में विकास आज भी कोसों दूर है। देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत का पैतृक गांव करीब चार वर्ष बाद सड़क मार्ग से जुड़ने जा रहा है और यह केवल उत्तराखंड के एक गांव की स्थिति नहीं है। आज भी पर्वतीय अंचलों में निवास कर रहे लोगों के गांवों तक सड़क पहुंचना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
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दिवंगत CDS जनरल बिपिन रावत 29 अप्रैल 2018 को अपने पैतृक गांव प्रखंड द्वारीखाल के अंतर्गत ग्राम सैंणा पहुंचे थे। गांव पहुंचने के लिए उन्हें करीब 1 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ी थी। गांव तक सड़क ना पहुंचने पर उन्होंने बेहद अफसोस जताया था और उत्तराखंड शासन को पत्र लिखकर गांव को सड़क से जोड़ने की गुजारिश की थी। उस समय जनरल रावत के साथ मौजूद सरकारी अधिकारियों ने एक सप्ताह में गांव को सड़क से जोड़ने की बात कही थी। बकायदा इसके बाद फाइलों में बिरमोलीखाल-सैंणा-मदनपुरी-डाडामंडी मोटर मार्ग को स्वीकृति प्रदान कर दी गई।
CDS जनरल बिपिन रावत के गांव में सड़क
तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर हादसे में CDS बिपिन रावत के मृत्यु के बाद परिजनों और क्षेत्रवासियों की ओर से उनके गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने की मांग ने फिर जोर पकड़ा। उस दौरान गांव को सड़क से न जोड़ पाने के कारण सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठे। खैर देर से ही सही आखिरकार सरकार ने उनके गांव के लिए सड़क निर्माण को हरी झंडी दे दी, जल्द ही जनरल रावत का गांव को सड़क से जोड़ने का सपना पूरा हो जाएगा।
#देश के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत 2016 में #सेना प्रमुख बनने के बाद पैदल चलकर अपने पैतृक गाँव सैंण पहुंचे थे। आज पाँच साल बाद उनके गाँव तक सड़क ले जाने का सपना पूरा हो पाया है। ये है #उत्तराखंड में विकास की गति और नेताओं की मति? pic.twitter.com/NoSHWOU6Zk
— Manjeet Negi (@manjeetnegilive) June 25, 2022