न्यूज़ डेस्क, देहरादून। AIIMS ऋषिकेश में 8 करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला सामने आया है। इस घोटाले का संबंध कार्डियोलॉजी विभाग की कोरोनरी केयर यूनिट (सीसीयू) से है, जिसमें 16 बेड लगाने के लिए 8 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन यह यूनिट कभी भी काम नहीं कर सकी। अब इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कर रही है और एम्स के पूर्व निदेशक समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
दरअसल एम्स ने दिसंबर 2017 में दिल्ली की कंपनी एमएस प्रो मेडिक डिवाइसेस को टेंडर जारी किया था, जिसने 2019-20 में अस्पताल के लिए उपकरण सप्लाई किए। एम्स ने 8.08 करोड़ रुपये का भुगतान किया, लेकिन जांच में पता चला कि उपकरण खराब गुणवत्ता के थे, कुछ सामान गायब था और टेंडर संबंधित कई जरूरी फाइलें भी गुम थीं। इसलिए मरीजों को कभी इसका लाभ नहीं मिला।
सीबीआई ने दर्ज किया केस
CBI ने एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रविकांत, पूर्व खरीद अधिकारी डॉ. राजेश पसरीचा, और पूर्व स्टोर कीपर रूप सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इनके अलावा भी कुछ अनजान सरकारी कर्मचारी और निजी लोग भी जांच के दायरे में हैं। CBI ने इस मामले में 26 सितंबर 2025 को आधिकारिक तौर पर केस दर्ज कर लिया है।
इस घोटाले से एम्स की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं, क्योंकि जहां स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च किया जाना चाहिए था, वहां भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी से मरीजों को लाभ नहीं मिल पाया। अब उम्मीद की जा रही है कि CBI जांच से असल दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी और ऐसी घटनाओं पर रोक लगेगी।