Mineral Extraction: उत्तराखंड के हल्द्वानी में गोलाकरण मजदूर उत्थान समिति और खनन व्यवसाईयों के लिए संयुक्त रूप से जिला खनन अधिकारी और भू तत्व निदेशक को एक ज्ञापन सौंप दिया जिसमें साफ तौर पर कहा गया कि गोला नदी क्षेत्र में खनिज निकासी की सीमा तय की जाएगी। 108 कुंतल से अधिक का Mineral Extraction पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा।
नियमों के पालन पर जोर
समिति के अध्यक्ष रमेश जोशी ने बताया कि खनन से जुड़ी गाड़ियों में कानूनी रूप से लेवल 108 कुंतल तक ही खनिज लोड करने का प्रावधान है। इसके बाद भी कई सारी गाड़ियां निर्धारित सीमा से ज्यादा लोडिंग करके जाते हैं जिससे न केवल सरकारी राजस्व का नुकसान होता है बल्कि सड़कों और पर्यावरण को भी क्षति पहुंचती है। उन्होंने मांग की है कि प्रत्येक खनन गेट पर इलेक्ट्रॉनिक माप केंद्र अनिवार्य हो ताकि अवैध निकासी पर रोक लगे।
पर्यावरण और सुरक्षा पर असर
विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि अत्यधिक खनिज निकलने से नदियों का प्राकृतिक संतुलन भी बिगड़ रहा है जिससे जल प्रवाहित होने में प्रभाव पड़ रहा है और कटाव भी बढ़ रहा है। इससे स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र को गंभीर खतरा भी हो रहा है वही ओवरलोड को गंभीर खतरा बताया जा रहा है कि ओवरलोड वाहन सड़कों की हालत भी खराब कर रहे हैं। इससे दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ती है।
प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग
ज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर 108 कुंतल की सीमा से अधिक खनिज निकाला जाता है तो संबंधित वाहन का परमिट खत्म हो जाएगा। इसके अलावा उस पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा। साथ ही खनन स्थल पर नियमित निगरानी के लिए टीम भी तैनात की जाएगी ताकि नियम का सही तरीके से पालन हो।
स्थानीय समुदाय की अपेक्षाएँ
स्थानीय लोग भी चाहते हैं कि खनन गतिविधि नियंत्रित हो ताकि रोजगार और पर्यावरण दोनों के बीच संतुलन बना रहे। मजदूरों का कहना है कि यदि सरकार सख्त नियम लागू करती है तो खनन क्षेत्र पारदर्शी बनेगा और मजदूरों को भी उचित सुरक्षा मिल सकेगी।
Mineral Extraction को लेकर साफ संकेत दिया जा रहा है कि खनिज के उत्पादन पर नहीं बल्कि पर्यावरण और सुरक्षा पर भी हमें ध्यान देना जरूरी है।






