Ancient Building Styles: उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा के कारण जान माल को भारी नुकसान होता है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि प्राचीन भवन निर्माण शैली प्राकृतिक आपदाओं के समय नुकसान को कम कर सकती है। स्थानीय संसाधन जैसे पत्थर लकड़ी और मिट्टी का उपयोग करके बनाए जाने वाले घर बहुत ही मजबूत और लचीली होते हैं।
निर्माण शैली और तकनीक
उत्तराखंड के प्राचीन घर और मंदिर भौगोलिक स्थिति के अनुसार बनाए गए थे भवन में बहु मंजिला संरचना और भार का सामान वितरण हो जाने के कारण इस भूकंप, लैंडस्लाइड और अत्यधिक मात्रा में बारिश होने जैसी घटनाओं से बचाने में ये टिकाऊ बनता है। लकड़ी और पत्थर की बीमा की परत भवन को लचीला बनाती है। जिससे आपदा की स्थिति में दबाव और तनाव दोनों कम रहता है।
आधुनिक निर्माण में अंतर
वर्तमान समय में भवन का निर्माण होने में पारंपरिक तकनीकी का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है कई नए घर मजबूत पत्थर से बनने की बजाय कमजोर मिट्टी के द्वारा बनाया जा रहे हैं जिससे आपदा की स्थिति में सुरक्षा कम होती है। विशेषज्ञ का कहना है कि पुराने भवन की तकनीक से हमें आधुनिक निर्माण में सीख लेनी चाहिए।
लाभ: आपदा प्रबंधन और सुरक्षा
Ancient Building Styles के भवन आपदा की स्थिति में टिकाऊ बनते हैं स्थानीय संसाधन का उपयोग करके बनाए जाते हैं और स्थानीय संसाधन प्राकृतिक सामग्री पर्यावरण के अनुकूल और सस्ती होती है। ढलान स्थल और जल निकासी को ध्यान में रखते हुए भवन का निर्माण होना चाहिए। प्राचीन भवन कई सदियों तक सुरक्षित रहते थे।
भविष्य की दिशा
भुगर वैज्ञानिकों की राय के अनुसार उत्तराखंड में नई इमारत में प्राचीन तकनीकी का समावेश करना बहुत जरूरी है इससे प्राकृतिक आपदा की स्थिति में नुकसान को काफी हद तक काम किया जा सकता है और स्थानीय संस्कृति का संरक्षण करने में भी मदद मिलता है।