Chamoli Disaster: उत्तराखंड के चमोली जिले का धुर्मा गांव हाल ही में आई चमोली आपदा से बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है। आपदा से गांव के घरों, खेतों और लोगों की खुशियां भी छिन गई है। इस आपदा के बाद ग्रामीणों ने तय किया है कि वह इस साल के कोई भी त्यौहार नहीं मनाएंगे। नवरात्रि और दीपावली जैसे बड़े धार्मिक त्योहारों की चहल-पहल इस बार गांव की गलियों से बिल्कुल ही गायब हो गई है पूरे गांव में सन्नाटा सा छा गया है।
आपदा के बाद गाँव में छाया सन्नाटा
उत्तराखंड के चमोली जिले का धुर्मा गांव हाल ही में आई चमोली आपदा से बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है। आपदा ने गांव के घरों खेतों और लोगों की सभी प्रकार की खुशियों को छीन लिया है इस तबाही के बाद ग्रामीणों ने ऐसा तय किया है। कि वह इस साल कोई भी पर्व नहीं मानेंगे, नवरात्रि और दीपावली जैसे बड़े त्योहार में गांव की गलियों से चहल-पहल भी गायब रहेगी।
सांस्कृतिक परंपराएँ भी होंगी स्थगित
धुर्मा गांव में हर साल धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन बड़ी ही धूमधाम से होता है पांडव लीला जैसे कार्यक्रम यहां की पहचान है। लेकिन इस बार ग्रामीणों ने साफ तौर पर कहा कि दुख के इस समय के बीच उत्सव का माहौल बनाना संभव नहीं है जिस कारण सभी सांस्कृतिक परंपराएं भी स्थगित कर दी गई है।
शादियाँ होंगी साधारण तरीके से
इस आपदा के बाद गांव में जिन परिवारों में शादियां होने वाली थी अब वहां बड़े स्तर की तैयारी का आयोजन नहीं होगा अब लोग कह रहे हैं की बहुत साधारण तरीके से शादी का आयोजन कर लेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि जब पूरा गांव संकट में है तब बड़े-बड़े समारोह करना सही नहीं होगा।
प्रशासन से मदद की मांग
ग्रामीण और स्थानीय नेताओं ने प्रशासन से मदद की उम्मीद की है कि आपदा प्रभावित परिवारों को तत्काल मुआवजा राहत के लिए कुछ राशि दी जाएगी पूर्व विधायक जीत राम ने भी गांव का दौरा किया और लापता लोगों की तलाश और राहत कार्य में तेजी लाने की मांग की है। केवल इतना ही नहीं गांव तक मशीन पहचाने और फिर से आवास बनाने की प्रक्रिया को तेज करने की बात भी प्रशासन के द्वारा की गई है।
लोगों की भावनात्मक स्थिति
अचानक आपदा आने से न सिर्फ लोगों के घर और खेत छिन गए बल्कि लोगों की भावनाओं को भी काफी ठेस पहुंचाहै। हर साल काफी उत्साह से पर्व त्यौहार सामाजिक एकता और के साथ यहां के लोग मानते थे लेकिन इस बार लोगों का मन उदास है जिस कारण वे त्योहार उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। गांव के बुजुर्ग लोगों का कहना है कि यह ऐसा पहला मौका है जब पूरा गांव त्योहार से दूरी बना रहेगा।
Chamoli Disaster जैसी आपदा आ जाने से गांव का जीवन पूरी की तरह से बदल चुका है पर्व से दूरी बनाने से दिखता है कि लोग कितने ज्यादा गहरे दुख में है।