धराली गांव में आई बाढ़ से जुड़ी कई तस्वीरें और कहानियां सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इनमें कई फोटो ऐसे हैं, जो मनगढ़ंत, पुरानी या दूसरी जगह/घटनाओं से ली गई हैं। कई सोशल मीडिया पोस्ट भ्रामक दावे कर रहे हैं, जिससे सोशल मीडिया पर अफवाहें फैल रही है। आइए जानते हैं आखिर क्या है इन वायरल दावों की असली सच्चाई!
दावा -1
यह फोटो धराली (उत्तरकाशी, उत्तराखंड) बाढ़ में मारे गए पिता और उसके पुत्र की है।
सच्चाई
यह फोटो धराली की नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के आमलदा गांव की है यह जुलाई 2025 की है। घटना में राजू यादव और भतीजे शिवम यादव पार्वती नदी में बाढ़ के कारण डूब गए थे। अगली सुबह, दोनों के शव कीचड़ में एक-दूसरे को पकड़े हुए मिले। इस घटना को गलत संदर्भ में धराली बाढ़ से जोड़ा जा रहा है, जबकि दोनों में कोई संबंध नहीं।
दावा – 2
उत्तरकाशी के धराली में आई आपदा के दृश्य ने पूरे देश को झकझोर दिया है।
सच्चाई
यह तस्वीर उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में 3 अगस्त 2025 को हुए सड़क हादसे की है। बोलेरो गाड़ी नहर में गिर गई थी जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई। कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में इसे धराली बाढ़ के साथ जोड़ने की कोशिश की जा रही है, जो तथ्यहीन है।
दावा – 3
हमारी भाजपा सरकार जनता के प्रति संवेदनशील सरकार है धराली उत्तरकाशी में हवाई मार्ग से बड़ी मशीनें पहुंचाई जा रही हैं।
सच
यह फोटो एडिटिंग या AI के ज़रिए तैयार की गई है। इसे सबसे पहले स्थानीय विधायक सुरेश चौहान ने प्रतीकात्मक और एडिटेड है इस संदर्भ के साथ शेयर किया था। लेकिन सोशल मीडिया यूजर्स इसे भ्रामक दावों के साथ शेयर कर रहे हैं।
निष्कर्ष: धराली में आई आपदा से संबंधित कुछ वायरल तस्वीरें और दावे भ्रामक और तथ्यहीन हैं।
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