Ladli Case: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हुई एक नाबालिक लड़की के साथ अत्याचार की घटना से पूरा उत्तराखंड आक्रोश में है। इस लाडली केस में समाज को तो जब छोड़ दिया है लेकिन राज्य सरकार को कार्रवाई करने के लिए मजबूर भी कर दिया है। पीड़िता और उसके परिवार को न्याय दिलाने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर ली गई है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका का महत्व
राज्य सरकार के द्वारा दायर की गई इस पुनर्विचार याचिका का उद्देश्य पहले के फैसले या आदेश की पूर्ण रूप से समीक्षा करना है। विशेषज्ञों का ऐसा कहना है कि यह कदम पीड़िता को न्याय दिलाने के साथ ही समझ में महिलाओं और बच्चों में सुरक्षा की भावना मजबूत करना है। इस याचिका की पहली भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के द्वारा किया जाएगा।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस मामले पर तेजी से कार्रवाई की है हल्द्वानी के एसपी सिटी प्रकाश चंद्र आर्य ने चाची का का प्रारूप अपने से तैयार किया और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सरकार के द्वारा उठाए जाने वाला या कम या दर्शाता है कि प्रशासन पीड़ित महिला को अधिकार दिलाने या अधिकारों की रक्षा और अपराधी को सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सामाजिक संदेश और भविष्य की दिशा
Ladli Case न केवल एक कानूनी मामला है बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है इस घटना से हमें यह पता चलता है कि बच्चों और महिलाओं के प्रति समाज में सुरक्षा होना हम सभी की जिम्मेदारी है। सरकार और समाज की एक संयुक्त पहल होने से ही समझ में ऐसे मामलों में शीघ्र न्याय मिल सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका पीड़िता के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर उभरी है या कम न केवल लाडली केस में न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है बल्कि समाज में सुरक्षा, सम्मान और न्याय को संदेश देने के लिए एक मजबूत कदम है। प्रशासन और न्यायपालिका की इस प्रकार की सक्रिय भूमिका से आने वाले समय में ऐसे मामलों पर बहुत ही कड़ा संदेश जाएगा और सभी पीड़ितों को न्याय मिलेगा।