registered unrecognized parties: उत्तराखंड की राजनीति में हलचल बढ़ चुकी है चुनाव आयोग में दो और रजिस्टर्ड अनरिकॉग्नाइज्ड पार्टी को नोटिस दिया है इन दलों पर आरोप है कि इन्होंने कई सालों से अपने ऑडिट रिपोर्ट और चुनावी खर्च का विवरण आयोग को नहीं दिया है आयोग ने यह स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि निर्धारित समय तक जवाब नहीं दिया गया तो इन दलों को सूची से बाहर कर दिया जाएगा।
कौन-कौन से दल आए निशाने पर?
चुनाव आयोग की ओर से जिन दो दलों को नोटिस भेजा गया वह है भारतीय सर्वोदय पार्टी उत्तराखंड और उत्तराखंड प्रगतिशील पार्टी ।
इन दोनों दलों ने फाइनेंशियल वर्ष 2021 – 2022, 2022 – 23 और 2023- 24 की रिपोर्ट अब तक आयोग को नहीं दी है। इसके साथ-साथ ही चुनाव के खर्च का कोई भी डाटा अभी तक आयोग को नहीं दिया गया है।
13 अक्टूबर तक मिली मोहलत
चुनाव आयोग के द्वारा इन दोनों पार्टियों को 13 अक्टूबर तक का समय दिया गया है अगर इस समय के अंदर सभी डॉक्यूमेंट और स्पष्टीकरण आयोग के पास जमा नहीं किए गए तो इनका रजिस्ट्रेशन रद्द होकर सीधी कार्रवाई हो सकती है। आयोग ने साफ तौर से कहा है कि रजिस्टर्ड पार्टी को भी वित्तीय रूप से पारदर्शिता बनाए रखना होगा नहीं तो उन्हें सूची से बाहर कर दिया जाएगा।
अब तक 17 दल हो चुके हैं बाहर
उत्तराखंड राज्य में इससे पहले 17 राजनीतिक पार्टियों को इस सूची से हटा दिया गया है, यह सभी दल चुनाव आयोग के नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। इससे यह साफ होता है कि अब आयोग गंभीरता से अपना नियम अपना रहा है और सभी रजिस्टर्ड पार्टी पर अपनी नजर रखा हुआ है।
पारदर्शिता की ओर बड़ा कदम
उत्तराखंड में यह कार्रवाई चुनावी व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाब दे ही सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है आयोग का या कम बताता है कि चाहे पार्टी बड़ी हो या छोटी नियम से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। इससे आने वाले चुनाव में राजनीति और फाइनेंशियल पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
चुनाव आयोग के द्वारा रजिस्टर्ड पार्टी के खिलाफ इस तरह का संदेश रजिस्टर्ड पार्टी के लिए गया है कि सिर्फ नाम भर के लिए रजिस्टर्ड पार्टी नहीं रह सकते हैं उन्हें हर साल अपने वित्तीय और चुनावी गतिविधि का पूरा विवरण आयोग को सौंपना होगा अब देखना यह होगा कि नोटिस पाने वाले पार्टी सब अपना रिपोर्ट आयोग को जमा करते हैं।