उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में आपदा प्रबंधन को और सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है भू संकलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान दुर्गम क्षेत्रों तक राहत और बचाव कार्य को पहुंचना हमेशा से चुनौती पूर्ण रहा है अभी समस्या को सुलझाने के लिए प्रशासन ने फैसला लिया है कि अधिकारियों को विशेष रूप से 4×4 Vehicles उपलब्ध कराए जाएंगे। यह वहां कठिन रास्तों पर भी आसानी से चल पाएंगे और प्रभावित इलाकों तक अधिकारियों की समस्या सुलझाने में मदद करेंगे।
क्यों जरूरी हैं 4×4 Vehicles?
कुमाऊं की भौगोलिक स्थिति काफी जटिल है बारिश के मौसम में सड़के टूट जाती है और कई जगह मालवा आ जाता है। कई सारे रास्ते तो पूरी तरह से ही बंद हो जाते हैं ऐसे में साधारण गाड़ियां प्रभावित क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पाती है लेकिन 4×4 Vehicles जैसे थार, ऊबड़-खाबड़ रास्तों और भू स्खलन वाले इलाकों में आसानी से चल सकते हैं। इससे न केवल प्रशासनिक अधिकारियों को मदद होगी बल्कि इसके साथ-साथ राहत सामग्री भी तेजी से समय पर पहुंच पाएगी।
कितनी तहसीलों को मिलेगा लाभ
प्राप्त जानकारी के अनुसार कुमाऊं की 22 तहसीलों को यह वाहन दिए जा रहे हैं। राजस्व परिषद को प्रस्ताव भेजा गया है कि इनकी खरीद आपदा मदद फंड से की जाएगी।हल्द्वानी, बागेश्वर, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और चंपावत जैसे आपदा ग्रसित जिलों में इन वाहनों का उपयोग ज्यादा प्रभावी साबित होने वाला है।
अधिकारियों की सुरक्षा भी होगी पुख्ता
कई बार अधिकारियों को आपदा प्रभावित क्षेत्र तक पैदल या असुरक्षित वाहनों से जाना पड़ता था जिससे उनकी जान का खतरा बढ़ जाता है मजबूत और सुरक्षित 4×4 Vehicles की मौजूद होने से न केवल उनका सफर आसान हो सकेगा बल्कि आपदा प्रबंधन दलवी बिना देरी के मौके पर पहुंच पाएंगे।
राहत कार्यों में तेजी की उम्मीद
कुमाऊं के कमिश्नर दीपक रावत का कहना है कि इन सभी वाहनों के मिलने से आपदा प्रबंधन की गति बढ़ेगी। आपदा के दौरान मिंटू का भी महत्व होता है ऐसे में तुरंत इन वाहनों की मदद से जरूर के समान पहुंचना काफी लाभकारी साबित होगा।






