Sunday, November 9, 2025

उत्तराखंड की सभी लोकसभा सीटों पर स्थानीय मुद्दे हावी

Share

उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर स्थानीय मुद्दों ने न केवल आकार ले लिया है बल्कि मुद्दे हावी होते जा रहे हैं। राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों और नारों का प्रभाव तेजी से कम हो रहा है। आम जन बड़े मुद्दों और नारों पर अब गौर करने तक को तैयार नहीं दिख रहे हैं।

उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीट पर पहले चरण यानि 19 अप्रैल को मतदान होगा। प्रचार के लिए अब 12 दिन का समय शेष रह गया है। पौड़ी, टिहरी, हरिद्वार, नैनीताल और अल्मोड़ा सीटों पर चुनाव प्रचार जोरों पर है। राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों ने दस्तक देने शुरू कर दी है।

इसे भी पढ़ें: उत्तराखंड के दीवान सिंह की खुली किस्मत, Dream 11 पर जीते 2 करोड़

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूद्रपुर में शंखनाद रैली से इसका आगाज कर चुके हैं। इन सबके बावजूद ये चुनाव पिछले दो आम चुनाव से कई तरह से भिन्न लग रहा है। इस चुनाव मे लोग दलों और प्रत्याशियों का मूल्यांकन कर रहे हैं। यही वजह है कि न तो नारों का जोर दिख रहा है और न ही राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुददे लोगों को आकर्षित कर पा रहे हैं।

दरअसल, पांचों सीटों पर अलग-अलग स्थानीय मुददे आकार ले चुके हैं। पिछले दो चुनावों में स्थानीय मुददे पूरी तरह से गायब हो गए थे। इस बार स्थानीय मुददे तेजी से आकार लेकर चुनाव पर हावी हो रहे हैं। आम जनता प्रत्याशियों से उक्त मुददों पर प्रतिक्रिया चाह रही है। जो प्रत्याशी स्थानीय मुददों पर रिएक्ट कर रहे हैं उनके पक्ष में तेजी से माहौल बन रहा है। जो प्रत्याशी स्थानीय मुददों से कन्नी काटते हुए बड़े-बड़े मुददों को उछाल रहे हैं, उन्हें इसका नुकसान होता दिख रहा है।

प्रचार तंत्र परेशान

प्रचार तंत्र से स्थानीय मुददों की धार को कम करने का प्लान भी खास काम करता नहीं दिख रहा है। इसने कुछ प्रत्याशियों की परेशानियां बढ़ा दी है। कुछ राजनीतिक दलों ने इसे भांपते हुए अपनी स्ट्रेटजी बदलनी भी शुरू कर दी है। पौड़ी, टिहरी, हरिद्वार, नैनीताल और अल्मोड़ा सीट पर ऐसा देखा और महसूस किया जा सकता है। हर लोकसभा सीट के अलग-अगल मुददे हैं। अग्निवीर, रोजगार, सरकारी शिक्षक-कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली और भ्रष्टाचार का मुददा सभी सीटों पर दिख रहा है।

[irp]

कुल मिलाकर एकमुश्त वोट में तेजी से टूट हुई है। ये युवाओं का वोट हो या महिलाओं का। मुददों के अलावा अधिकांश सीटों पर प्रत्याशी भीतरघात से भी दो चार हो रहे हैं। कुछ सीटों पर तो भीतरघात बड़े सधे हुए तरीके से चल रहा है। इसने कुछ राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की नींद उड़ा दी है।

Editorial Team
Editorial Team
This article was written by the Hindu Live editorial team.

Read more

Local News